अप्रैल में बिक जाते थे आधे से अधिक कूलर पंखें व एसी, अभी दुकानें ही नहीं खुली


बगरू। क्षेत्र के इलेक्ट्रोनिक व्यापारियों ने मार्च महीने की शुरुआत में ही कूलर-पंखों के साथ इलेक्ट्रोनिक आइटम का स्टॉक अपनी-अपनी दुकानों और गोदामों में कर लिया था, इधर स्टॉक किया और उधर लॉकडाउन हो गया, अब कूलर पंखों के साथ इलेक्ट्रोनिक आइटम व्यवसाय करने वालों व कच्चे माल से कूलर तैयार करने वालों के लिए भी लॉकडाउन आफत बन गया है, लाखों रुपए के सामान खरीदने के बाद व्यापारियों को गर्मी के मौसम में कूलर पंखें अधिक बिकने की आस थी, लेकिन लॉकडाउन से निराशा हाथ लगी।
सामान्यतः अप्रैल माह में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को छूने लगते ही कूलर, पंखों व एसी की मांग बढ़ने लगती है, गर्मी के दिनों में कूलर तैयार करके भी फुर्सत नहीं मिल पाती थी, लॉकडाउन से इस वर्ष सारा धंधा लॉक हो चुका है, कूलर पंखों का व्यवसायी बालाजी इलैक्ट्रीकल्स के नवरतन सैनी ने बताया कि अप्रैल माह लगते ही कूलर पंखों का व्यवसाय शुरू हो जाया करता था। इस बार सबकुछ ठप हो गया। गोदाम में रखे कूलर व इलेक्ट्रोनिक आइटम दिखाते हुए कहा कि अब तक तो इसमें से आधे बिक जाते, लेकिन इस बार शुरुआत भी नहीं हुई है, केवल गर्मी के मौसम में ही चलने वाला यह धंधा पूर्ण रूप से ठप हो गया, बताया कि लॉकडाउन से जीवन जरूर सुरक्षित है, लेकिन काम धंधे की कमर टूट चुकी है, अगर आगे भी लाॅकडाउन जारी रहता है तो ये कूलर पंखें अगले साल ही बिक पाएंगे, लॉकडाउन का असर कुम्हारों के धंधे पर भी आ गया है, गर्मी का दौर शुरू होने के बाद भी मटकियों की बिक्री शुरू नहीं हो पाई है जबकि गर्मी के सीजन के लिए वर्षभर कड़ी मेहनत कर मटकियां तैयार की गई थी।
कुम्हारों के चेहरों पर भी मायूसी
इस काम से जुड़े सुरेश प्रजापत, सुभाष प्रजापत, रामू प्रजापत, पप्पुलाल प्रजापत ने बताया कि सर्दी से मटकियां बनाने के काम में जुटे हुए थे, उम्मीद थी कि गर्मी में अच्छा कारोबार होगा, लेकिन लॉकडाउन में सारा काम ठप हो गया, गर्मी की शुरुआत के साथ में सीजन में एक हजार मटकियां बिक जाया करती थी, जो इस वर्ष शुरुआत भी नहीं हुई, पहले मटकियों के दाम कम मिलते थे लेकिन लॉकडाउन में वो भी नसीब नहीं है।