बुद्ध पूर्णिमा का दिन एक दूसरे को हार्दिक बधाई देने के साथ साथ अपने आप मे बदलाव लाने बाबत संकल्प लेने का दिन भी है,जानिए कैसे ?
किसी भी उत्सव पर एक दूसरे को हार्दिक बधाई देना एक परंपरा बन चुकी है जो कि अच्छी बात है लेकिन बुद्ध पूर्णिमा के महोत्सव पर मात्र बधाई देने से जीवन में लाभ होने वाला नहीं है बल्कि जीवन में लाभ तभी होगा जब हम अपने आप मे बदलाव लाने का संकल्प लेकर उसके अनुसार काम करना शुरू करेंगे।
आज बुद्ध पूर्णिमा है और इस अवसर पर हम बुद्ध को याद करते हैं,आज ही के दिन बुद्ध का जन्म हुआ और इसी दिन उन्हें धम्म का ज्ञान भी हुआ एव उनका महापरिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ,दुनिया में बुद्ध ही एक मात्र ऐसे महापुरुष हुए हैं कि उनके जीवन की तीन घटनाएं बैशाख पूर्णिमा के दिन ही घटित हुई हैं इसलिए इस दिन को त्रिगुण बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है।
अब विचार करने वाली बात यह कि यदि हम लोग अपने जीवन में बदलाव लाना चाहें तो बुद्ध के अनुसार कोनसे बदलाव लाने होंगे और बदलाव लाने के तरीके क्या हो सकते हैं।
बदलाव लाने के लिए बहुत ज्यादा सोचते और समझने की जरूरत नहीं है बल्कि हम लोग अपने जीवन में जिन बातों को बिलकुल भी सुनना पसंद नहीं करते हैं अथवा उन बातों को सुनकर मन में दुख पैदा होता है ऐसी बातें दूसरे लोगों को कभी नहीं बोलें।
दूसरा यह कि जिस तरह का बर्ताव हमें बिलकुल भी पसंद नहीं है वैसा बर्ताव दूसरे लोगों के साथ बिलकुल भी नहीं करें।
तीसरा यह कि जिस प्रकार के चरित्र की अपेक्षा हम दूसरे लोगों से करते हैं वैसा ही चरित्र स्वयं का भी रखें।
चौथा यह कि जिस प्रकार हमें अपनी बिटिया के लिए शराबी जुवारी एवं चरित्रहीन दुल्हा पसंद नहीं होता है इसलिए प्रयास करें कि ऐसे दुर्गुण स्वयं में अथवा स्वयं की संतान में बिलकुल भी उत्पन्न न हों।
पाँचवा यह कि जिस प्रकार हर किसी को सम्मान अच्छा लगता है और अपमान बुरा लगता है अतः सदैव प्रयास करें कि हम किसी का अपमान नहीं करें।
इन पांच महत्वपूर्ण बातों के अलावा भी हम उन सभी बातों में बदलाव ला सकते हैं जो हमे पसंद और नापसंद हों।
अब महत्वपूर्ण बात यह है कि उपरोक्त सभी बातें जानते और समझते तो तकरीबन सभी लोग हैं लेकिन फिर भी बदलाव नहीं लाया जाता है अतः इसके लिए क्या करना होगा ?
अपने जीवन में बदलाव के लिए सबसे जरूरी है कि हम लोग अपने मन को साफ करें, जैसे बहुत दिनों तक कपड़े धुलाई नहीं करेंगे तो कपड़ों में बदबूआने लगती है साथ ही यदि लंबे समय तक स्नान नहीं करेंगे तो हमारा बदन बदबू मारने लगेगा, अतः इस बदबू से बचने के लिए हम लोग कपड़ों की धुलाई करते हैं साथ ही साबुन अथवा शैम्पू लगाकर नहाते हैं लेकिन हम सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि अपने अंदर मौजूद मन को कभी साफ नहीं करते हैं और बहुत दिनों तक मन की सफाई नहीं होने से उसमें गन्दगी पैदा हो जाती है और उसी गन्दगी का असर देखने में यह आता है कि हमारी सोच विचार व्यवहार एवं कार्यों में शुद्धता नहीं रह पाती है साथ ही काम क्रोध मद लोभ मोह माया एवं अहंकार की प्रवृति बहुत ज्यादा बढ़ जाती है एवं नियमित रूप से मन की सफाई नहीं होने से मन में तरह तरह के विकार उत्पन्न होने लगते हैं जिसके कारण हम चाहते हुए भी अपने आप मे सुधार नहीं कर पाते हैं।
बुद्ध ने मन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना था हम लोग इसे कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं जिस प्रकार बस अथवा किसी भी मोटर वाहन के चालक की गलती से सभी यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है तथा पायलेट की गलती से हवाई जहाज में सवार सैकड़ों यात्रियों की जान जा सकती है उसी प्रकार मानव जीवन में मन चालक की भूमिका निभाता है और मन की गलती से पूरा जीवन खतरे में पड़ सकता है।
बुद्ध ने मन के सम्बंध में यह भी कहा कि जिस प्रकार लोहे में जंग पैदा हो जाता है तो वह जंग ही लोहे की बर्बादी का कारण बन जाता है उसी प्रकार मन में विकार उत्पन्न होने से किसी शत्रु की जरूरत ही नहीं होगी क्योंकि शत्रु से भी ज्यादा नुकसान विकृत मानसिकता से व्यक्ति स्वयं को बहुत बड़ी हानी पहुंचा सकता है।
अब महत्वपूर्ण बात यह है कि हम लोग मन को साफ कैसे करें,अतः मन को साफ करने के लिए जरूरी है कि हम प्रकृति को समझने का प्रयास करें।
प्रकृति ने आदमी को सामाजिक प्राणी के रूप में पैदा किया है इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर परिवार के साथ साथ समाज हित में भी सोचे समझे विचार करे और समाज की प्रगति के लिए योजना बनाकर अपने जीवन में उनका क्रियान्वयन करे।
अपने घर परिवार के साथ साथ समाज के दुख दर्द में शामिल होने का प्रयास करे।
समाज के लिए जीवन जीने वाले महापुरुषों द्वारा लिखित साहित्य पढ़े और उनके जीवन संघर्षों की चर्चा करते हुए वैसा ही जीवन यापन करने का कुछ प्रयास करें।
इसके अलावा मानव जीवन सांस पर निर्भर करता है इसलिए अपने सांस को महसूस करे इसके लिए बुद्ध ने विपश्यना शुरू की थी जो कि एक प्रकार से एन्टी वायरस का काम करती है जिससे मन में मौजूद विकार नष्ट होते हैं और नये विकार उत्पन्न नहीं हो पाते हैं जिससे मन शुद्ध होता है।
अतः आज बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देने के साथ साथ यह संकल्प भी लें कि मैं अपने जीवन में बदलाव लाने का पूरा पूरा प्रयास करूंगा।