कोरोना को हल्के में ले रहे हैं लोग, क्या इससे लड़ने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही है, हमारी नहीं ?


सरकार के सख्त आदेश के बावजूद लोग 'मास्क' नहीं लगा रहे और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे !



केकड़ी (अजमेेेर )राजस्थान।कोरोना संक्रमण का दिनों दिन लगातार फैलना चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन लोग अब भी इसे गम्भीरता से नहीं ले रहे और इसे हल्के में ले रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में जो क्षेत्र इसके संक्रमण से बचे हुए हैं वे भी चपेट में आ जाएंगे तब यह बीमारी न तो हमारे बस में रहेगी और न ही सरकार के बस में। कोरोना से लड़ाई क्या केवल सरकार की जिम्मेदारी है हमारी नहीं ? आखिर हमें पता होना चाहिए कि सरकार किसकी सुरक्षा के लिए लोकडाउन व अन्य सख्त कदम उठा रही है। लोग क्यों नहीं समझ रहे कि यह वो बीमारी है जो लाइलाज है, जब तक इसकी वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक यह हम सबके लिए खतरा बनी हुई है। ध्यान रहे हमारी थोड़ी सी चूक व लापरवाही हमारे पूरे परिवार व क्षेत्र को तबाह कर सकती है। जब तक हम स्वयं इस बीमारी से बचने के लिए सतर्कता नहीं बरतेंगे तब तक यह बीमारी एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे तक इसी क्रम में आगे फैलती जाएगी और हम सभी इसका शिकार हो जाएंगे। आज जो हाल अमेरिका, इटली व अन्य देशों का है वही हमारे देश का होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। सरकार सहित अन्य सभी एजेंसियां बार-बार हमें घर से बाहर नहीं निकलने, बाहर निकलने पर मुंह पर मास्‍क पहनने तथा सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने की सलाह दे रही हैं मगर कितने लोग हैं जो स्वयं विवेक से इसका पालन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि तमाम अध्‍ययनों से पता चला है कि 'मास्‍क' कोरोना वायरस के खिलाफ बचाव में उपयोगी होता है। यहां तक कि घर पर बना मास्‍क भी इसमें कारगर है।लेकिन, यह समझने के लिए कि आखिर क्‍यों मास्‍क अहम है, हमें जानना होगा कि वायरस कैसे फैलता है। कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 एक ड्रॉपलेट इंफेक्‍शन है। कफ या छींक इन ड्रॉपलेट को हवा में छह फीट दूर तक ले जाते हैं। ये इससे अधिक दूर नहीं जा पाते हैं और जमीन पर गिर जाते हैं।
लेकिन, यह वायरस एयरोलोस ट्रांसमिशन के जरिये भी फैल सकता है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट बहुत छोटे-छोटे और हल्‍के पार्टिकल्‍स में तब्‍दील हो जाता है और हवा में ही काफी समय तक रहता है। वैसे एयरोसोल ट्रांसमिशन वायरस के फैलने का मुख्‍य माध्‍यम नहीं है। 
*मास्‍क क्‍यों हैं जरूरी ?* वायरस से ज्‍यादा संपर्क के असर पर हुए शोध से पता चलता है कि मास्क बचाव के इक्विपमेंट अहम साबित हो सकते हैं। ये न केवल मेडिकल वर्कर्स के लिए जरूरी हैं, बल्कि उन सभी के लिए भी अहम हैं जो लॉकडाउन के दौरान बाहर जाते हैं। मास्क लगाने से सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर सामने से कोई संक्रमित व्यक्ति छींक देता है तो उस स्थिति में ये ज़रूर मददगार साबित होता है। यहां ये याद रखने की ज़रूरत है कि कोरोना वायरस के जितने मामले अभी तक सामने आए हैं उनमें से बहुत से मामले ऐसे हैं जिसमें संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नज़र नहीं आया लेकिन जब उन्हें टेस्ट किया गया तो वे पॉज़ीटिव पाए गए। ऐसे में अगर आप मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो कोई बुराई नहीं है बल्कि यह एक सुरक्षा कवच के रूप में आपकी मदद करता है। कोरोना वायरस के तेजी से फैल रहे संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार व राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने सभी नागरिकों को मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार ने तो मास्क नहीं लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का ऐलान भी कर दिया है मगर फिर भी लोग सरकारी एडवाजरी फॉलो नहीं कर रहे। अब तो प्रशासन को भी इसका सख्ती से पालन कराना चाहिए। देखने में आ रहा है कि कई स्थानों पर अब भी पुलिस व प्रशासन सरकारी एडवाजरी के पालन के लिए सख्ती नहीं बरत रहा। अगर इसी प्रकार ढिलाई बरती गई तो परिणाम घातक होंगे इसमें कोई संदेह नहीं ! गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आगाह किया है कि अगर हम मास्क, ग्लब्ज आदि का इस्तेमाल नहीं करते तो यह संक्रमण एक से दूसरे में फैलता ही जाएगा जिसे रोक पाना मुश्किल हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अगर आप ग्लव्स व मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप कोरोना वायरस से बच जाएंगे, लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि नंगे हाथ से चेहरा छूना ख़तरनाक साबित हो सकता है। अतः मास्क लगाने पर बार-बार जोर दिया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी कहना है कि रोज़ाना साबुन से हाथ धोते रहना ग्लव्स की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित और कारगर है। अब हमें स्वयं को निर्णय लेना होगा कि अगर हम सुरक्षित रहना चाहते हैं और इस भयावह स्थिति से बचना चाहते हैं तो सरकारी एडवाइजरी का पालन करें। बिना वजह घरों से नहीं निकलें, आवश्यक हो तो घर से निकलते ही मास्क अवश्य लगाएं तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें और नहीं तो इसके दुष्परिणाम का इंतजार करें।