मृत्युभोज के लिए मजबूर को चेताने उठाया पीड़ा : सामजिक प्रचारक बैरवा

भीलवाड़ा।राजस्थान के प्रदेश जिला भीलवाड़ा के युवा सामाजिक प्रचारक हीरालाल बैरवा "पुर"  ने  मृत्युभोज के लिए मजबूर है समाज के लिए विगत कई वर्षों से चली आ रही एक ऐसी परम्परा या यूं कहें कि सबसे बड़ी कुरीति जो किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु उपरांत शोक संतप्त परिवार द्वारा दिया जाने वाला भोज जो समाज मे मृत्युभोज के रूप में प्रचलित है। पिछले कुछ दिनों से सामाजिक कार्यक्रमो एवम विभिन्न सोशल मीडिया के मंचो पर मृत्युभोज पर एक सार्थक बहस छिड़ी हुई है जहाँ समाज के सभी वर्गों द्वारा इसके खिलाफ कहा जाता है एवं सब इसके विरोध में खड़े नजर आते है। इसके लिए सरकार भी सजग हैं  लेकिन इसकी सूचना प्रशासन को दें को कौन बुरा होवे। इसकेलिए एक लोगों मैं वातावरण बनाया जाए कि इसको मिटाने के लिए खुद को अगुवाई करने के लिए खड़ा होने की जरूरत है।


इसमें सोचने वाली बात ये है कि जब किसी कुरीति के खिलाफ समाज मे इतना रोष है तो फिर आखिर ये कई वर्षों से समाज को खोखला क्यों और कैसे किये जा रही है और वे कौन लोग होते है जो इनका समर्थन करते है,,,? तो इसका जवाब है हम,,,!
जी हां!  समाज के हम ही तो लोग होते है जो इसका कई सार्वजनिक मंचो एवम व्यक्तिगत रूप से विरोध तो करते है  किंतु जब समय आता है इसे जमीनी रूप से स्वयं पर या समाज पर लागू करने का तो हम इस कुरीति को कम करने के बजाय इसे कई गुना विस्तृत कर लेते है अपनी से,,और यह कहकर अपनी बात को पूरी कर लेते हैं हैं  कि वो सक्षम है इसलिए ,! ये सोचने वाली बात है। आखिर हम क्यों इस कुरीति को एक विस्तृत रूप देने में लगे है,,,? क्यों हम इसका बढ़ चढ़कर आयोजन करने में लगे है,,,!
हा सही है इसे हम एक आयोजन के रूप में ही तो मनाने में लगे है और एक दूसरे से होंडा-होड़ी के चक्कर मे इसे इतना विकृत कर दिया है कि आज इसमैं  समाज भागीदार है।  इस  जनजागरण अभियान को फेसबुक, व्हाट्सएप, सहित कई माध्यमों से  प्रसार  गांव ढाणी मैं युवाओं को जोड़कर  इस बुराई को जड़ से मिटाने का  संकल्प लेते हुए अतक प्रयास से सामजिक संगठनों के माध्यम से  आगे बढ़कर जहाँ तक संभव हो इसके लिए आगे आकर मानव समाज का दर्द है जिसे मिटाने में अपने मुख उस घड़ी में से इसे नहीं करने के लिये की लिए मनोबल बढ़ाने के लिए की आवश्यकता है।जिससे उस परिवार को आर्थिक रूप हानि से बचाया जा सकता है।  जो समझदार होते हैं वह तो श्रेष्ठ मार्ग को चुन अपना भला साध लेते हैं जो निर्णय नहीं ले पाते है वो कर्ज मैं दब जातें हैं।
इस कार्य की सराहना जयपुर जिले के फागी खंड  की ग्राम पंचायत मंडावरी के गांव गोपालपुरा के युवा समाज सेवी   हंसराज चौधरी ने इस तरह का बीड़ा उठा रखा है।