7 मई बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव विशेष
आज इक्कसवीं सदी का दौर चल रहा है इस दौर में मानव जीवन पूरी तरह विज्ञान पर आधारित हो चुका है, मोबाइल फोन से लेकर टेलीफोन, टेलीविजन,कम्प्यूटर, लेपटॉप,मिक्सर ग्राइडर, कूलर, पंखा, फ्रीजर,एयरकंडीशनर,साइकिल, बाईक, कार, ट्रेक्टर, बस, हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज तक विज्ञान की देन है लेकिन फिर भी धर्मों के कुछ ठेकेदार अंधविश्वास को बढ़ाकर अपनी दुकानदारी जारी रखने की नीयत से विज्ञान का विरोध करते हुए देखे जाते हैं लेकिन जिस वक्त विज्ञान का कोई बोलबाला नहीं था तब भी तथागत बुद्ध ने आज से 2542 वर्ष पहले विज्ञान का समर्थन कर दिया था और कहा था कि
प्राणी का शरीर किसी ईश्वर ने नहीं बनाया है बल्कि पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु नाम के चार तत्वों से बना है।
मृत्यु कोई निश्चित नहीं है बल्कि उपरोक्त इन चार तत्वों की शरीर में बहुत ज्यादा कमी या अधिकता होते ही जीवन का अंत हो सकता है जैसे ऑक्सीजन की कमी, पानी की कमी अथवा टेम्प्रेचर का बहुत कम या बहुत ज्यादा होना।
बुद्ध ने धार्मिक गर्न्थो एवं धर्म गुरुओं की बातों को भी मानना जरूरी नहीं समझा था बल्कि कहा था कि किसी भी बात को केवल इसलिए मत मानो की वह धार्मिक गर्न्थो में लिखी हुई है या किसी धर्मगुरु द्वारा कही गई है अथवा उस बात को मानने की परंपरा रही है या फिर दुनिया के बहुत से लोग उस बात को मानते चले आ रहे हैं, आप इन सबको दरकिनार करते हुए किसी बात को तभी मानो की वह बात आपकी बुद्धि, विवेक, ज्ञान,अनुभव एवं तर्क की कसोटी पर परखने पर खरी उतरती हो।
तथागत बुद्ध ने स्वयं को न तो ईश्वर माना और न परमेश्वर माना बल्कि एक असाधारण इंसान माना था।
1, बुद्ध ने कहा कि दुनिया में दुख है इसे नकारा नहीं जा सकता है।
2, यह भी सत्य है कि उस दुख के पीछे कोई न कोई कारण जरूर छुपा हुआ है इसे स्वीकारा जाना चाहिए।
हमारी खोज होनी चाहिए कि जो दुख है उसके पीछे क्या कारण है ?
3,जब हम कारण को जान लेंगे तो यकीनन हम दुख का निवारण कर पाएंगे यानि कि प्रत्येक दुख का निवारण है।
4, लेकिन ध्यान रहे कि दुख का निवारण करने के लिए कोई न कोई उपाय काम में लेना होगा क्योंकि दुख का निवारण करने के लिए उपाय बने हुए हैं अर्थात दुःख दूर करने के उपाय हैं।
तथागत बुद्ध की इन्हीं चार महत्वपूर्ण बातों को चार आर्य सत्य कहा जाता है।
तथागत बुद्ध ने दुःखो से बचने एवं सुखी जीवन जीने के 8 उपाय बताये थे जो इस प्रकार हैं:-
1,सम्यक संकल्प
2, सम्यक स्मृति
3, सम्यक वाणी
4,सम्यक दृष्टि
5,सम्यक कर्मान्त
6,सम्यक आजीविका
7,सम्यक व्यायाम
8,सम्यक समाधि
दुख दूर करने के इन 8 उपायों को अष्टांग मार्ग के नाम से जाना जाता है।
बुद्ध ने कहा था कि दुखों से बचना चाहते हो तो अपने जीवन में एक निर्धारित मापदंड को स्वीकार करो कि:-
1, मैं बेवजह किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करूंगा अर्थात प्राणी हिंसा से विरत रहूँगा।
2, मैं बिना अनुमति के किसी की वस्तु नहीं लूंगा अर्थात चोरी नहीं करूंगा।
3, मैं कामवासना से विरत रहूंगा एवं विवाहित होने पर अपने जीवन साथी तक सीमित रहूँगा।
4, मैं झूठी बहस या झूठी बकवास नहीं करूंगा अर्थात झूठ नहीं बोलूंगा।
5, मैं कच्ची या पक्की शराब का सेवन नहीं करूंगा अथवा किसी भी प्रकार का नशा नहीं करूंगा।
तथागत बुद्ध के इस मापदंड(पैमाने)को दुनिया भर में पंचशील के नाम से जाना जाता है।
बुद्ध ने केवल उपदेश ही नहीं दिए बल्कि कपिलवस्तु का भावी सम्राट एवं एक राजकुमार होते हुए भी महल का त्याग किया साथ ही घर परिवार एवं रिश्तेदार सब छोड़छाड़कर बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के लिए करीब 52 वर्षों तक जन मानस को जागृत करते रहे।
तथागत बुद्ध के समय भी मनुवादियों द्वारा बहुत सी जातियां बनायी जा चुकी थी और जातीय भेदभाव भी भयंकर रूप से शुरू हो चुका था एवं बहुजन समाज को धार्मिक आधार पर नीचा समझा जाने लगा था ऐसे में तथागत बुद्ध ने प्राकृतिक धम्म की स्थापना की,तथागत बुद्ध आस्तिक और नास्तिक के झमेले से दूर रहकर जीवन की वास्तविक स्थिति पर जोर दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति ऊंचा नीचा नहीं है बल्कि मानव मानव सब एक समान हैं।
बुद्ध द्वारा जो समानता का अभियान चलाया गया उससे मनुवादियों के लिए दान मान सम्मान बंद होने से रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया था इसलिए मौका पाते ही मनुवादियों ने बहुजन समाज के वास्तविक एवं प्राकृतिक धम्म को भारत में तहस नहस कर दिया, नालंदा, तक्षशिला एवं विक्रमशिला जैसे बौद्ध विश्वविद्यालयों को तोड़फोड़ डाला अनेकों प्रकार के बौद्ध साहित्य को आग में जला डाला गया, बौद्ध भिक्षुओं का गला काटकर कत्लेआम किया गया,बौद्ध उपासकों को हिंदू धर्म का गुलाम बनाकर छुआछूत शुरू कर उनके जीवन को नरक बना डाला।
बुद्ध का धम्म भारत में उत्पन्न हुआ, यहीं पला बढा और तकरीबन पूरे विश्व में फैला लेकिन इन मनुवादियों ने इस धम्म को भारत में लुप्त कर दिया।
लेकिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्वान बोद्धिसत्व बाबा साहेब अंबेडकर ने बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के मार्ग को ठीक से समझा और अपने 10 लाख अनुयायियों के साथ अपनाकर एक बार पुनः बुद्ध के धम्म को भारत में पुनर्जीवित कर दिया।
जैसे जैसे बहुजन समाज के लोग बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को समझ रहे हैं वैसे वैसे तथागत बुद्ध के बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के मार्ग की ओर बढ़ रहे हैं।
7 मई को बुद्ध की जयंती है तो बुद्धत्व प्राप्ति का दिन भी है और साथ ही उसी दिन बुद्ध का महापरिनिर्वाण दिवस भी है इसलिए बौद्ध जगत में इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
अतः आओ हम भी सब मिलकर 7 मई को गांव गांव ढाणी ढाणी घर घर बुद्धपुर्णिमा मनाएं और बाबा साहेब अंबेडकर जयंती समारोह से भी ज्यादा बुद्ध पूर्णिमा समारोह का आयोजन कर बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाएं।
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बी एल बौद्ध